मध्य प्रदेश की रतलाम लोकसभा सीट कई मायनों में बेहद दिलचस्प सीट है. 2008 के परिसीमन से पहले यह झाबुआ लोकसभा सीट कहलाई जाती थी, लेकिन परिसीमन के बाद इसका नाम बदलकर रतलाम लोकसभा सीट कर दिया गया. यह कांग्रेस के दबदबे वाली सीट है. रतलाम लोकसभा सीट पर अब तक 18 बार चुनाव हुए हैं. 18 में से 14 बार कांग्रेस उम्मीदवार लोकसभा चुनाव जीतने में कामयबा रहे. कांग्रेस ने दो चुनाव तो पिछले 10 साल की भीतर हारे हैं. और ये दोनों चुनाव कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया ने हारे. वर्ष 2014 और 2019 में मोदी लहर के आगे कांतिलाल भूरिया जैसा कद्दावर नेता भी अपनी जमीन नहीं बचा पाया.
मध्य प्रदेश के झाबुआ में पहला आम चुनाव 1952 में हुआ था. तब ये क्षेत्र मध्यभारत हुआ करता था. पहला आम चुनाव कांग्रेस के अमरसिंह ने जीता. 1956 में मध्य प्रदेश बना. 1957 के लोकसभा चुनाव में अमर सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और मध्य प्रदेश नया राज्य बनने के बाद अमर सिंह झाबुआ के पहले सांसद बने. इसके बाद साल 1962 के चुनाव में कांग्रेस की जमुना देवी सांसद बनीं. तब तक झाबुआ लोकसभा में मनावर ईस्ट, मनावर वेस्ट, सरदार पुर, कुक्षी विधानसभा भी शामिल थीं. साल 1967 में झाबुआ के पास के गांव के रहने वाले सुरसिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और विजयी हुए.
बदलाव के बाद बयार
साल 1967 के लोकसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र में बदलाव हुआ. झाबुआ लोकसभा सीट से मनावर, कुक्षी, सरदापुर विधानसभा को अलग करते हुए रतलाम जिले की सैलाना, जावरा और रतलाम विधानसभा सीट को झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर लिया गया.
यह बदलाव कांग्रेस के लिए घातक साबित हुआ और साल 1971 का चुनाव सोशललिस्ट पार्टी ने जीता. सैलाना के रहने वाले भागीरथ भंवर सांसद बने. 1977 में भी भागीरथ भंवर सांसद बने, लेकिन इस बार वे लोकदल से चुनाव लड़े. भागीरथ भंवर ने कांग्रेस के दिलीप सिंह भूरिया को हराया था.
सिंधिया के गढ़ में किसका होगा राज, कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह देंगे टक्कर!
अपना पहला चुनाव हारने के बाद साल 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर दिलीप सिंह भूरिया को मौका दिया और भूरिया सांसद बने. इसके बाद 1996 तक दिलीप सिंह भूरिया लगातार 5 बार यहां से सासंद रहे.
भूरिया बनाम भूरिया
साल 1998 में दिलीप सिंह भूरिया ने कांग्रेस से किनारा कर बीजेपी का दामन थाम लिया. साल 1998 में कांग्रेस ने दिलीप सिंह भूरिया के खिलाफ विधायक और मंत्री कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा. इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार दिलीप सिंह भूरिया को हार का सामना करना पड़ा. कांतिलाल भूरिया पहली बार 82 हजार वोट से जीतकर सांसद बने. इसके बाद कांतिलाल भूरिया ने साल 1998 और 1999 के दोनों चुनाव जीते. दोनों ही बार बीजेपी की ओर दिलीप सिंह भूरिया उम्मीदवार थे. इसके बाद के भी 2004 और 2009 में कांग्रेस की ओर से कांतिलाल भूरिया ने ही चुनाव लड़ा और विजय हासिल की. 2004 में बीजेपी ने झाबुआ नगरपालिका की अध्यक्ष रह चुकी रेलम चौहान को उतारा. साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से जीतकर मध्य प्रदेश में उमा भारती की अगुवाई में सरकार बनाई थी. पहली बार झाबुआ जिले की पांचों विधानसभा सीट पर कमल खिला था. तब आलीराजपुर जिला भी झाबुआ में शामिल था. पहली बार विधानसभा में मिली इस करारी हार के बाद कांग्रेस के लिए 2004 के लोकसभा का सफर आसान नहीं था, लेकिन रेलम चौहान के रूप में कमजोर प्रत्याशी बीजेपी की ओर से उतरा और कांतिलाल भूरिया एक बार फिर से सांसद बने. 2009 ने चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया और बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया के बीच मुकाबला हुआ. कांतिलाल भूरिया इस बार ये चुनावी बाजी मार ले गए.
साल 2009 के लोकसभा चुनाव से झाबुआ लोकसभा सीट का नाम बदलकर रतलाम लोकसभा कर दिया गया. सीट का नाम बदलने को लेकर दिलीप सिंह भूरिया ने नाराजगी भी जताई. जबकि मौजूदा लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 42 प्रतिशत मतदाता झाबुआ जिले से हैं और रतलाम से 31 प्रतिशत.
मोदी लहर में कांग्रेस धराशाई
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार 9 सांसद देने वाली कांग्रेस पार्टी मोदी लहर में धराशयी हो गई. 2014 के चुनाव में कांग्रेस के भूरिया और बीजेपी के भूरिया के बीच मुकाबला हुआ. इस चुनाव में बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया ने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को 1.10 लाख वोटों से हरा दिया. लेकिन एक साल के बाद ही सांसद दिलीप सिंह भूरिया का बीमारी के चलते निधन हो गया, जिसके चलते रतलाम लोकसभा सीट पर साल 2015 में उपचुनाव हुए. एक बार फिर से कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया को मौका दिया तो बीजेपी ने सहानुभुति के चलते दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया को मैदान में उतारा. मोदी सरकार बनने के साल भर बाद ही हुए इस उपचुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी और कांतिलाल भूरिया 5वीं बार सांसद चुने गए.
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से कांतिलाल भूरिया चुनावी मैदान में थे तो बीजेपी ने रिटायर्ड नौकरशाह गुमानसिंह डामोर को मैदान में उतारा. इस वक्त गुमान सिंह डामोर झाबुआ से विधायक थे. बीजेपी के गुमान सिंह डामोर ने कांतिलाल भूरिया को 90 हजार वोटों से शिकस्त दी.
गुमान सिंह डामोर से नाराजगी
साल 2024 के लोकसभा चुनावों में गुमान सिंह डामोर अपनी टिकट नहीं बचा सके. कई बार उनकी कार्यशैली को लेकर लोग शिकायत करते रहे. लेकिन गुमानसिहं डामोर संसदीय कार्यवाही में कांतिलाल भूरिया से ज्यादा सक्रिय नजर आए. सांसद गुमासिंह डामोर राजनीति में जितने तेजी से उभरे, उतनी तेजी से वे पार्टी के भीतर समन्वय नहीं बना सके. नतीजा सांसद बनने के 2 साल में उनके खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे. झाबुआ-आलीराजपुर जिले की बात करें तो यहां कि पांचों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस विधायक काबिज थे. 2020 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पलटने के बाद जैसे ही बीजेपी की सरकार बनी गुमान सिंह डामोर हावी हो गए. आरोप ये लगते रहे कि वे सत्ता और प्रशासनिक पकड़ के चलते अपने मुताबिक काम करवाते थे. यहीं से धीरे-धीरे कई नेताओं के साथ उनकी पटरी नहीं बैठ रही है.
साल 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर दोबारा टिकट को लेकर गुमान सिंह डामोर और उनके समर्थक आश्वस्त थे. लेकिन 11 फरवरी को झाबुआ में पीएम मोदी के विराट आदिवासी महाकुंभ कार्यक्रम के बाद ये साफ हो गया कि गुमान सिंह डामोर का पत्ता कट सकता है. और आखिरकार उनका पत्ता कट गया.
बीजेपी ने रतलाम सीट से अलीराजपुर जिला पंचायत अध्यक्ष और वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनिता चौहान के नाम का ऐलान कर दिया. अब तक झाबुआ जिले से ही बीजेपी और कांग्रेस, दोनों अपने उम्मीदवार मैदान में उतारती रहे हैं, ऐसे में अलीराजपुर जिले से अनिता चौहान का नाम सामने आने के बाद सभी को अचरज हुआ. उधर कांग्रेस से 8वीं बार कांतिलाल भूरिया मैदान में हैं. अब यहां चुनावी लड़ाई कांग्रेस या बीजेपी में नहीं बल्कि झाबुआ और अलीराजपुर के बीच देखने को मिलेगी. झाबुआ-रतलाम सीट पर 13 मई को मतदान होना है.
.
Tags: 2024 Lok Sabha Elections, Jhabua news, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Madhya pradesh news, Ratlam news
FIRST PUBLISHED : March 29, 2024, 16:24 IST