Mithila Rang Mahotsav 2024: मैथिली लोक रंग-मैलोरंग द्वारा विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर दो दिवसीय मिथिला रंग महोत्सव का आयोजन किया गया. महोत्सव के पहले दिन नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित एलटीजी सभागार में महाकवि भास रचित नाटक ‘अभिषेकनाटकम्’ का मंचन किया गया. इस अवसर पर गांधी स्मृति एवं साहित्य सदन के निदेशक डॉ. ज्वाला प्रसाद, आईपीएस अधिकारी राकेश कुमार मिश्रा, हिंदी अकादमी के उपसचिव ऋषि कुमार शर्मा, वरिष्ठ वस्त्र सज्जाकार अनिला सिंह और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक प्रो. देवेंद्र राज अंकुर उपस्थित थे.
‘अभिषेकनाटकम्’ नाट्य प्रस्तुति की परिकल्पना एवं निर्देशन रमण कुमार ने किया है. रमण कुमार भारतेंदु नाट्य अकादमी से प्रशिक्षित रंगकर्मी हैं तथा वर्तमान में मैलोरंग रेपर्टरी के प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं. मैलोरंग और धनार्या आर्ट्स ने संयुक्त रूप से ‘अभिषेकनाटकम्’ का मंचन किया. नाटक भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान रावण वध कर जब अयोध्या में वापस लौट कर आते हैं तो उनका राज्याभिषेक किया जाता है. इसी मूल कथ्य को लेकर महाकवि भास ने ‘अभिषेकनाटकम्’ की रचना की थी.
महाकवि भास के नाटक ‘अभिषेकनाटकम्’ की कथावस्तु रामायण पर आधारित है और इसमें छह अंक हैं. नाटक की कथा भगवान राम और लक्ष्मण के किष्किन्धा पर्वत पर पहुंचने से शुरू होती है. बालिबध से लेकर रावणवध तक की कथा का निदर्शन भास ने इस नाटक में किया है. राम के राज्याभिषेक के साथ ही नाटक का पटाक्षेप होता है.
मिथिला रंग महोत्सव की दूसरी नाट्य प्रस्तुति ‘टोपी शुक्ला’ थी. इसका मंचन एनएसडी के सम्मुख सभागार में किया गया. नई दिल्ली में प्रयागराज की संस्था ‘समानांतर’ द्वारा राही मासूम रज़ा के उपन्यास ‘टोपी शुक्ला’ का नाट्य मंचन किया. नाटक ‘टोपी शुक्ला’ ऐसे हिंदुस्तानी नागरिक का अप्रतीक है जो राष्ट्रवादी सिद्धांत और भारत विभाजन के बावजूद आज भी अपने को विशुद्ध भारतीय समझता है. मैलोरंग के दो दिवसीय आयोजन में तीनों नाट्य प्रस्तुति में बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित हुए.
इस उपन्यास का नाट्यरूप अख्तर अली ने तैयार किया और नाटक के लिए संगीत परिकल्पना रवि नागर द्वारा किया गया है. सम्पूर्ण नाट्य प्रस्तुति की परिकल्पना एवं निर्देशन सुप्रसिद्ध रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक की. इस नाटक का दो बार मंचन किया गया. टोपी शुक्ला प्रसिद्ध लेखक राही मासूम रज़ा का बेहद चर्चित उपन्यास है. इस उपन्यास में धार्मिक विषयों पर चर्चा की गई है.
मैलोरंग के प्रमुख डॉ. प्रकाश झा ने बताया कि मैथिली रंगकर्म को प्रोत्साहित करने के लिए ‘मैलोरंग’ द्वारा ‘रंगकर्मी प्रमिला झा सम्मान’, ‘रंगकर्मी श्रीकांत मंडल सम्मान’ तथा ‘ज्योतिरीश्वर रंग शीर्ष सम्मान’ का संचालन प्रति वर्ष किया जाता है. मैलोरंग के सक्रियता को देखते हुए वर्ष 2011 से भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इसे मैथिली भाषा में प्रथम रंगमंडल के रूप में मान्यता प्रदान की.
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Tags: Literature and Art
FIRST PUBLISHED : March 29, 2024, 14:24 IST